जयपुर। केंद्र सरकार ने इस बार के बजट 2025 में राजस्थान के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। सरकार ने राज्य में सड़क और पेयजल परियोजनाओं के लिए कर्ज की गारंटी देने का ऐलान किया है।
इस बजट 2025 के तहत राजस्थान स्टेट हाईवे को 321.21 करोड़ रुपए, राजस्थान ग्रामीण पेयजल वितरण परियोजना को 255 करोड़ रुपए, और राजस्थान स्टेट हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए भी लोन की गारंटी दी गई है।
केंद्रीय करों में राजस्थान को बड़ी हिस्सेदारी
राजस्थान को इस बार केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी के रूप में पिछली बार से 10 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलने वाले हैं। अगले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार कुल 14 लाख 22 हजार करोड़ रुपए राज्यों को देगी, जिसमें राजस्थान को 85 हजार 716 करोड़ रुपए मिलेंगे।
राजस्थान से वसूले गए केंद्रीय करों में से राज्य को 6.26% हिस्सा दिया जाता है। पिछले बजट 2025 में यह राशि 75,047.76 करोड़ रुपए थी, जो इस बार बढ़कर 85,716 करोड़ रुपए हो गई है।
राजस्थान को किन केंद्रीय करों से कितनी राशि मिलेगी?
- कॉर्पोरेशन टैक्स – ₹23,934.98 करोड़
- इनकम टैक्स – ₹31,936.24 करोड़
- सेंट्रल जीएसटी – ₹24,954.27 करोड़
- कस्टम्स – ₹3,945.35 करोड़
- यूनियन एक्साइज ड्यूटी – ₹819.64 करोड़
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बजट 2025 पर साधा निशाना
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस बजट 2025 को राजस्थान के साथ अन्याय करार देते हुए कई आरोप लगाए:
- राजस्थान का नाम तक नहीं लिया गया।
- हर बार की तरह राजस्थान के साथ भेदभाव किया गया।
- ERCP (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया।
- यमुना जल समझौते पर कोई घोषणा नहीं हुई।
- देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है, लेकिन इन मुद्दों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- मध्यम वर्ग पर ‘मोदी सरकार की लूट’ जारी रहेगी।
- युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों को लेकर कोई ठोस नीति नहीं आई।
- किसानों को एक बार फिर ठगा गया, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कोई घोषणा नहीं हुई।
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर केंद्र का रवैया निराशाजनक रहा।
- बजट पूरी तरह से बिहार जैसे चुनावी राज्यों पर केंद्रित रहा।
केंद्र सरकार ने इस बजट 2025 में राजस्थान को केंद्रीय करों में अधिक हिस्सा तो दिया है, लेकिन कुछ बुनियादी योजनाओं और जल संकट से जुड़ी मांगों को अनदेखा किए जाने पर विपक्ष ने तीखी आलोचना की है।
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