मौत और विनाश की खौफनाक यादों को समेटे हुए आज भी खड़ा है उपहार सिनेमा

5 Min Read

नई दिल्ली, 22 जनवरी ()। उपहार सिनेमा अग्निकांड को 26 साल हो चुके हैं। बॉर्डर फिल्म देखने के दौरान लगी भीषण आग ने पूूरे सिनेमा घर को अपनी चपेट में ले लिया था। कभी मनोरंजन का केंद्र रहा उपहार सिनेमा आज किसी भूतिया इमारत से कम नहीं है।

इस त्रासदी को सालों बीत गए हैं। फिर भी इमारत भयानक यादों, जीवन भर के अफसोस और आजीविका के नुकसान की मूरत बनकर एक स्मृति चिन्ह के रूप में खड़ी है। इसने कई लोगों के जीवन को पलट कर रख दिया।

पिछले 26 सालों में कितना कुछ बदल गया है। जिन दुकानदारों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की कोशिश की, उनमें से ज्यादातर ने या तो अपना बिजनेस यहां से शिफ्ट कर लिया है या उनके बच्चे अब दुकानें और रेस्तरां चला रहे हैं।

सिनेमा के सामने का पूरा एरिया अब एक पार्किं ग स्थल है।

उपहार सिनेमा अग्निकांड जब हुआ था, तब मनीष महज 13 साल का था। उसने इस भयानक त्रासदी को देखा था। उसके पिता बिट्टू विष्णु उस वक्त थिएटर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने एक छोले भटूरे की दुकान चलाते थे।

अब मनीष अपने भाई यश के साथ सिनेमा हॉल के पास एक रेस्टोरेंट चलाते हैं।

मनीष ने उस दिन को याद करते हुए बताया कि सिनेमाघर में फिल्म के पहले शो के दौरान रात करीब 12.30 बजे ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट हो गया था। पर किसी ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

मनीष ने कहा, जब फिल्म का दूसरा शो चल रहा था, शाम करीब 4 बजे सिनेमा हॉल से धुआं निकलने लगा। थिएटर के बाहर मौजूद हर कोई इकट्ठा हो गया और अफरा-तफरी मच गई।

यह घटना 13 जून 1997 को हुई, तब मनीष अपने पिता बिट्टू के साथ थे, जिनका चार साल पहले निधन हो गया।

मनीष कहते हैं, मुझे ज्यादा याद नहीं है लेकिन जब लोग थिएटर से बाहर आ रहे थे, तो मैं अपने पिता के साथ रेस्तरां में था और ग्राहकों के लिए बैठने की जगह की व्यवस्था कर रहा था।

मनीष कहते हैं, मैंने लोगों को इमारत की खिड़कियों से कूदते और यहां तक कि जान बचाने के लिए अपने बच्चों को मंजिल से नीचे फेंकते देखा।

13 जून 1997 को फिल्म के मॉनिर्ंग शो के दौरान, उपहार सिनेमा के ग्राउंड फ्लोर पर दो ट्रांसफॉर्मर में से एक में आग लग गई। आनन-फानन में आग पर काबू पाने के बावजूद ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गया।

एक इलेक्ट्रीशियन ने थिएटर चालू रखने के लिए जल्दबाजी में इसकी मरम्मत की। चूंकि मरम्मत ठीक से नहीं की गई, इसलिए इसकी एक केबल के ढीले होने और तेज स्पार्किं ग के कारण ट्रांसफार्मर में फिर से आग लग गई। इस बार यह दूसरा शो था।

कथित तौर पर ट्रांसफॉर्मर में ऑयल सोक पिट नहीं था, जो नियमों के अनुसार अनिवार्य है। जिसके चलते आग अन्य क्षेत्रों में फैल गई। यहां तक कि दूर खड़ी कारें भी आग की लपटों में आ गईं।

सिनेमा हॉल में धुआं ही धुंआ था और थिएटर की बिजली गुल हो गई।

लोअर फ्लोर पर मौजूद दर्शक तो बच निकलने में सफल रहे, लेकिन बालकनी में बैठे लोग फंस गए।

सिनेमा हॉल में एग्जिट लाइट्स, फुटलाइट्स या इमरजेंसी लाइट्स नहीं थी, और जब थिएटर में बिजली चली गई तो अंधेरा हो गया। दर्शकों को आग के बारे में सतर्क करने के लिए कोई पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम नहीं था। एग्जिट गेट भी बंद थे।

दम घुटने के कारण कुल 59 लोगों की जान चली गई।

अफरातफरी के कारण भगदड़ में 100 से अधिक लोग घायल हो गए। परेशानी वाली बात यह रही कि भारी ट्रैफिक के कारण दमकल की गाड़ियों को मौके पर पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा का समय लग गया।

मनीष ने कहा, घटना के चार घंटे बाद भी इलाके में वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई थीं, जिससे भारी जाम लग गया।

पीके/एसकेपी

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times
Exit mobile version