महाराजा बख्तसिंह (1751-1752 )। जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह के पुत्र बख्तसिंह, अपने भतीजे रामसिंह को हटाकर वह सन् 1751 में मारवाड़ की राजगद्दी पर बैठे। रामसिंह ने जोधपुर छूट जाने पर भी जय अप्पा ने सिंधिया की सहायता से फलौदी और अजमेर पर कब्जा कर लिया, लेकिन शीघ्र ही बख्तसिंह ने पुनः अजमेर पर कब्जा कर लिया।
इस लेख का पिछला हिस्सा पढे —– मारवाड़ राजवंश का शौर्य युग
रामसिंह मरहठों के साथ मंदसौर चला गया। वख्तसिंह ने जयपुर के महाराजा माधोसिंह से मिलकर मरहठों को मालवा से भी भगाने का विचार किया था, लेकिन इस विषय में विचार विमर्श करते सिंधोली (जयपुर राज्य) में ही 21 सितम्बर, 1752 में स्वर्ग सिधारे। यह कहा जाता है कि उसे जयपुर में विष पिला दिया था।
बख्तसिंह बड़े वीर, दानी, बुद्धिमानी, नीतिज्ञ और कुशल शासक थे। उन्होंने नागौर में सन् 1730 से 1752 तक शासन बड़ी कुशलता से किया था। नागौर के दुर्ग को सुदृढ़ और सुसज्जित किया। मरहठों का राज्य शासन में कोई हस्तक्षेप नहीं होने दिया। जोधपुर कीशहरपनाहका भी विस्तार कर उसे सुदृढ़ किया।
यह लेख आगे भी चालू है —– अगला भाग पढे मारवाड़ के महाराजा विजयसिंह (1752-1793)
देश विदेश की तमाम बड़ी खबरों के लिए निहारिका टाइम्स को फॉलो करें। हमें फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। ताजा खबरों के लिए हमेशा निहारिका टाइम्स पर जाएं।