राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई ने कहा कि गुरु जाम्भोजी ने इसे धर्म के साथ जोड़कर पर्यावरण संरक्षण को पूरे समाज का धार्मिक कर्तव्य बना दिया,यह बड़ी बात थी। पांच शताब्दी बीतने के बाद भी बिश्नोई समाज उनके आदेश पालन में तत्पर खड़ा है। पर्यावरण संरक्षण की गुरु जाम्भोजी की बात का जन-जन तक प्रचार प्रसार होना चाहिए तभी इसमें जन भागीदारी सुनिश्चित होगी।
मंत्री सुखराम बिश्नोई ने कहा कि पहले किरिया आप कमाइए, फिर औरां नै फरमाइए’ सबदवाणी की इस सूक्ति के अनुसार हमें अपने जीवन को ढ़ालना और पहले स्वयं एक आदर्श पर्यावरण प्रेमी बनकर बनकर दिखाना है फिर हमारा जीवन देखकर लोग प्रेरित होंगे और आपकी यह प्रेरणा ही जन आंदोलन बन जाएगी।
सुखराम बिश्नोई ने बताया कि हमें बाहर की शुद्धि के साथ साथ मन की शुद्धि अति आवश्यक हे। उन्होंने कहा कि ऐसी संगोष्टियां गांव, तहसील स्तर पर भी होनी चाहिए। सुखराम बिश्नोई ने आह्वान किया कि अन्य समाजों को भी आगे आना होगा।
वेबिनार में स्वागत भाषण करते हुए जाम्भाणी साहित्य अकादमी की अध्यक्षा डॉ इंदिरा बिश्नोई ने कहा कि अकादमी पर्यावरण संरक्षण विषयक साहित्य के प्रकाशन और प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है, हम समय-समय पर ऐसे सम्मेलन, संगोष्ठी,वेबिनार करते रहते हैं और भविष्य में भी भारतवर्ष के अलावा दुबई में भी एक पर्यावरण सम्मेलन प्रस्तावित है।
इस सत्र की अध्यक्षता देवेन्द्र बिश्नोई आईपीएस एसीबी मुख्यालय बीकानेर ने की, स्वस्तिवाचन स्वामी सच्चिदानन्दजी आचार्य लालासर साथरी ने और संयोजन एडवोकेट संदीप धारणियां ने किया।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि श्री बिहारीलाल बिश्नोई विधायक नोखा ने अपने उद्बोधन में कहा की अनेक व्यक्ति और संगठन तो पर्यावरण संरक्षण में लगे हुए ही है हमें आमजन को इससे जोड़ना होगा, गांव से लेकर शहर तक प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे तभी हम पर्यावरण, प्रकृति और पृथ्वी को बचा पाएंगे। इस सत्र की अध्यक्षता अकादमी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री राजाराम धारणियां ने की और धन्यवाद ज्ञापन अकादमी के कोषाध्यक्ष डॉ भंवरलाल बिश्नोई ने किया। वेबिनार के संयोजक इंजि. आर के बिश्नोई दिल्ली और तकनीकी प्रबंधक डॉ लालचंद बिश्नोई रहे।
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