होलिका दहन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को प्रदोष काल में करने का विधान है। निर्णयसिंधु धर्मग्रंथ के अनुसार, निर्णयामृत एवं ज्योतिर्निबंध में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा ही होलिका दहन के लिए शुभ मानी जाती है।
भद्रा काल में होलिका दहन वर्जित
शास्त्रों के अनुसार, भद्राकाल में होलिका दहन करना अनिष्टकारक होता है। कहा गया है कि यदि श्रावणी पूर्णिमा में भद्रा हो तो यह राजा का नाश करती है, और फाल्गुनी पूर्णिमा में भद्रा नगर और राष्ट्र के लिए हानिकारक होती है। इसलिए 13 मार्च 2025 की रात भद्रा समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा।
होलिका पूजन और दहन का शुभ मुहूर्त
- होलिका पूजन तिथि: 13 मार्च 2025
- शुभ मुहूर्त:
- प्रातः 10:58 से 1:57 तक
- अपराह्न 3:27 से सायं 6:25 तक
- होलिका दहन: 13 मार्च की रात (भद्रा समाप्ति के बाद)
- पूर्णिमा स्नान एवं दान: 14 मार्च 2025
होलिका पूजन सामग्री एवं विधि
होलिका पूजन के लिए उपले, नारियल, पान, सुपारी, अक्षत, जल, बताशे, धूप, गंध एवं चना अर्पित करने का विधान है। साथ ही “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव
14 मार्च 2025 को सिंह राशि में चंद्र ग्रहण लगेगा, लेकिन यह भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए सुतक काल मान्य नहीं होगा। इस अवधि में स्नान, दान, मंत्र जाप का विशेष महत्व रहेगा।
खरमास 2025 और विवाह मुहूर्त
- 14 मार्च को सायं 6:50 बजे सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से एक माह तक खरमास रहेगा।
- इस दौरान सभी मांगलिक कार्य वर्जित होंगे।
- हिंदू नववर्ष 2025 के पहले विवाह मुहूर्त की शुरुआत 16 अप्रैल से होगी।
होलिका दहन 2025 को लेकर सही तिथि और मुहूर्त जानना अत्यंत आवश्यक है। भद्रा समाप्ति के बाद 13 मार्च की रात होलिका दहन किया जाना शुभ रहेगा। साथ ही 14 मार्च को पूर्णिमा स्नान, दान और मंत्र जप का विशेष फल मिलेगा। खरमास समाप्त होने के बाद विवाह एवं अन्य शुभ कार्य 16 अप्रैल 2025 से प्रारंभ होंगे।
देश विदेश की तमाम बड़ी खबरों के लिए निहारिका टाइम्स को फॉलो करें। हमें फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। ताजा खबरों के लिए हमेशा निहारिका टाइम्स पर जाएं।