जैसलमेर 07 जुलाई। जिले में मनरेगा योजना के तहत कागजों में चल रही फर्जी लेबर के 100 करोड़ बचाने वाली जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी टी शुभमंगला का महज छह माह बाद तो वहीं अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले सांकड़ा बीडीओ नरपत सिंह हरसाणी का महज दो दिन बाद ही तबादला कर दिया गया। चर्चा है कि स्थानीय मंत्री व जन प्रतिनिधि इनके तबादले करवाने के लिए प्रयासरत थे।
पिता की आखिरी ख्वाहिश पूरी करने मैकेनिक की बेटी टी शुभमंगला बनी अफसर, गरीबों के कल्याण में झोंक दी जिंदगी
टी शुभमंगला कर्नाटक की रहने वाली हैं। उनके पिता एक मैकेनिक थे। उनका एक बड़ा परिवार था जिसकी जिम्मेदारी उनके पिता के कंधों पर थी। टी शुभमंगला के पिता 10वीं के बाद ही पैसे कमाने लगे और एक मैकेनिक के तौर पर काम करने लगे। टी शुभमंगलाऔर उनके भाई ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की। वो अपने परिवार में पहली पीढ़ी थी जो इतनी पढ़ी-लिखी थी।
विदाई में भावुक होकर बोली सीईओ टी शुभमंगला; मैं जाना नहीं चाहती थी
पंचायत समिति जैसलमेर की ओर से आयोजित विदाई समारोह में सीईओ टी शुभमंगला ने कहा कि मुझे जब जैसलमेर पोस्टिंग मिली तो बहुत खुश हुई। मैं इस तरह के पिछड़े इलाकों में काम करना चाहती थी और मुझे मौका मिल गया। पंचायती राज व ग्रामीण विकास में बहुत चुनौतियां थी और वर्तमान में भी है, मुझे बहुत कुछ सीखने को भी मिला। उन्होंने कहा कि यह खुशी का अवसर तो नहीं है, क्योंकि मैं यहां पर बहुत कुछ करना चाहती थी। मैंने जो सोचा था, वो में नहीं कर पाई। जो काम अधूरे रह गए हैं उन्हें उसी तरह से पूरा करने के लिए मैं यहां मौजूद अधिकारियों के विवेक पर छोड़ती हूँ।
जिला कलेक्टर व सीईओ के तबादले के दूसरे दिन ही विकास अधिकारी नरपत सिंह हरसाणी का भी तबादला हो गया.
जैसलमेर के सातों समितियों में एक फतेहगढ़ को छोड़कर बाकी 6 समितियों में मंत्री व विधायक के अपने चहेते ही लगे हुए हैं. गत दिनों साकड़ा पंचायत समिति में BDO की पोस्ट पर नरपत सिंह हरसाणी का तबादला हुआ था. लेकिन मंत्री जी को कहां पसंद आए क्योंकि वह ईमानदार अधिकारी जो ठहरे इसलिए कल यानि 6 जून को नरपत सिंह का एपीओ का आदेश करवा दिया। मंत्री और विधायक की आपसी लड़ाई में ईमानदार अधिकारी ही हो रहे हैं राजनीति के शिकार।
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